सरकार रूस-यूक्रेन संघर्ष, चीन की तरफ से भारी खरीद और अन्य वैश्विक कारणों से अंतरराष्ट्रीय उर्वरक कीमतों में वृद्धि के बावजूद किसानों को सस्ती कीमतों पर खाद आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है। इसके कारण चालू वित्त वर्ष में वार्षिक उर्वरक सब्सिडी बढ़कर दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। संसद में विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों के बीच सरकार के एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि मोदी सरकार के लिए किसानों के हित सर्वोपरि हैं और उर्वरकों पर दी जा रही भारी सब्सिडी से स्पष्ट है कि अगर यह बढ़ती है तो सरकार इससे पीछे नहीं हटेगी।

30 लाख टन डीएपी और 70 लाख टन यूरिया की व्‍यवस्‍था की

सूत्रों ने कहा, ‘मई से शुरू होने वाले खरीफ बुआई सत्र के लिए सरकार ने 30 लाख टन डीएपी और 70 लाख टन यूरिया सहित उर्वरक की पहले से ही व्यवस्था कर ली है। हम खरीफ सत्र की जरूरतों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और जरूरत के अनुसार आगे और खरीद करेंगे।’

यूरिया की कीमत आज 266 रुपये प्रति 50 किलो बोरी

सरकारी अधिकारियों ने बताया कि घरेलू बाजार में यूरिया की कीमत आज 266 रुपये प्रति 50 किलो बोरी है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत बढ़कर 4,000 रुपये प्रति बोरी हो गई है। इस तरह प्रत्येक बोरी पर सरकार को करीब 3,700 रुपये की सब्सिडी देनी पड़ रही है। वहीं घरेलू बाजार में डीएपी की कीमत 1,350 रुपये प्रति बोरी है, जबकि इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमत बढ़कर 4,200 रुपये प्रति बोरी हो गई है। हालांकि एनपीके (जटिल उर्वरक) की कीमत लगभग एक साल से 1,470 रुपये प्रति बोरी पर ही बनी हुई है। एनपीके की कीमत तब से नहीं बदली है जब एक साल पहले इसकी कीमत लगभग 1,300 रुपये से बढ़ाकर 1,470 रुपये प्रति बोरी कर दिया गया था।

पड़ोसी राज्‍यों की तुलना में कीमतें कम

उन्होंने यह भी बताया कि भारत में उर्वरक कीमतें पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों की तुलना में बहुत कम हैं। अमेरिका, इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे देशों की तुलना में भी कीमतें कम हैं। एक सूत्र ने कहा, ‘उर्वरक की कीमतों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी को लेकर जो चिंता जताई जा रही है, वह बेवजह है।