शिमला,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) :प्रदेश में कोविड 19 के चलते स्वास्थ्य विभाग के निदेशक की घूस खोरी व पीपीई,बेंन्टीलेटर व सेनेटाइजर खरीद में हुए कथित घोटालों के विरोध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इसकी जांच प्रदेश उच्च न्यायालय के सिटिंग जज से करवाने की मांग को लेकर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को एक ज्ञापन सौंपा।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर के नेतृत्व में प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री,विधायक डॉ.धनीराम शांडिल,जगत सिंह नेगी,नंद लाल,मोहन लाल ब्राक्टा,विनय कुमार, विक्रमादित्य सिंह व आशीष बुटेल ने राजभवन जाकर राज्यपाल को यह ज्ञापन दिया।

ज्ञापन में कांग्रेस ने इस पूरे भ्रष्टाचार की नैतिक जिम्मेदारी पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के इस्तीफे की मांग व इस माहमारी के दौरान स्वास्थ्य विभाग में की गई स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद के साथ सभी प्रकार की खरीद पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग की गई है।कहा गया कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने तो अपने पद से इस्तीफा दे दिया है,इससे साफ है कि इसमें पार्टी की सलिप्ता रही है।चूंकि स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के पास है इसलिए वह भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी से बच नही सकते इसलिए इसकी किसी भी निष्पक्ष जांच के लिए उनका इस पद से हटना भी आवश्यक है।

ज्ञापन में कहा गया है कि कुछ समय पूर्व सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने स्वास्थ्य विभाग में कथित गड़बड़ियों को लेकर एक पत्र भी उजागर किया था,जिसमें तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री पर संगीन आरोप लगाए गये थे,सरकार ने इसकी कोई जांच न कर उल्टे पत्र लिखने और भेजने वाले को ही ढूंढती रही।कांग्रेस ने इस पत्र में लगे आरोपों की जांच भीअब इसी दायरे में करवाने की मांग की है।
ज्ञापन में कहा गया है कि मीडिया में आने के बाद सचिवालय में 50 रुपए के सेनेटाइजर खरीद को 130 रुपए अंकित करने के आरोपी अधीक्षक को सस्पेंड किया गया।इसी प्रकार आयुर्वेदिक में भी उपकरणों व दवाओं की खरीद में हुए भ्रष्टाचार पर जांच मीडिया में आने के बाद शुरू की गई।

कांग्रेस नेताओं ने कहा है की कोविड 19 के संकट की घड़ी में प्रदेश में इस भ्रष्टाचार से पूरा प्रदेश शर्मसार हुआ है।उनका कहना है कि कांग्रेस ने इस संकट की घड़ी में प्रदेश भाजपा सरकार को हर स्तर पर अपना पूरा समर्थन दिया पर सरकार ने उनका व लोगों के विश्वास को तोड़ा है।इसलिए इस भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच होना बहुत ही जरूरी है जिससे इसके सभी गुनाहगारों को कानूनी तौर पर सजा मिल सकें।