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हरिद्वार। ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और अविमुक्तेश्वरानंद के गुरु भाई ब्रह्मचारी सुबोधानंद महाराज ने कहा कि शंकराचार्य की नियुक्ति में हस्तक्षेप करने का अखाड़ा परिषद को कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति पर अखाड़ा परिषद को सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य पद के लिए पूरी तरह योग्य हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ व स्वामी सदानंद को द्वारका पीठ का शंकराचार्य बनाए जाने से पूर्व सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है । ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भूसमाधि देने से पूर्व ही दोनों पीठ पर शंकराचार्यो का पट्टाभिषेक किया गया। इस संबंध में काशी विद्वत परिषद व भारत धर्म महामंडल भी अपना प्रस्ताव दे चुके हैं। ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने भी अपने इच्छा पत्र में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज को ज्योतिष पीठ व स्वामी सदानंद महाराज को द्वारका पीठ का शंकराचार्य बनाए जाने की बात कही है। स्वामी सुबोधानंद ने कहा कि शंकराचार्य पद पर नियुक्ति को लेकर अखाड़ा परिषद द्वारा हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। अखाड़ा परिषद को बताना चाहिए कि उन्होंने चार पीठों में किस पीठ पर शंकराचार्य की नियुक्ति की है। शंकराचार्य का पद कोई महंताई नहीं है।जब चाहा जिसे बना दिया।शंकराचार्य पद धर्म प्रचार के लिए है। ज्योतिष पीठ और द्वारका पीठ पर शंकराचार्य की नियुक्ति परंपरा के अनुसार ही की गयी है। दोनों ही पीठों पर योग्य संतों को शंकराचार्य नियुक्त किया गया है। इसलिए अब किसी प्रकार का विवाद उचित नहीं है। वार्ता के दौरान ब्रह्मचारी सहजानंद महाराज एवं ब्रह्मचारी श्रवणानंद महाराज के साथ -साथ उनके कई अनुयायी भी मौजूद रहे।